Saturday, 31 January 2009

जो बीत गई सो बात गई

जो बीत गई सो बात गई
जीवन मे एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वो डूब गया तोउ डूब गया

अम्बर के आगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे

इतने इसके प्यारे छूटे
पअर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता हैं

जो बीत गयी सो बात गयी ...

जीवन मे था वो एक कुसुम
थे उस पे नित्य नयोचावार तुम
वो सूख गया तोउ सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
जो मुरझाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखी फूलों पे
कब मधुवन शोक मनाता हैं ?
जो बीत गयी सो बात गयी ...

जीवन मे मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वो टूट गया तोउ टूट गया
मदिराली का आगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिटटी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों मे कब मदिरालय पछताता हैं ?
जो बीत गयी सो बात गयी ...

मृदु मिटटी के है bane हुए
मधु घाट फूटा ही करतें हैं
लघु जीवन लेके आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घाट मधु के प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वो मधु लूटा ही करते हैं
वो कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घाट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता हैं चिल्लाता हैं ?

जो बीत गयी सो बात गयी ...

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